क्या शिक्षा पर जिवनघडतर
कि जिम्मेवारी डालनी चाहिए ?
शिक्षा विशाल अर्थ लिये हुये है तो हम
उसे यहा बांध देते है यहा सिर्फ शिक्षा का औपचारिक अर्थ लेना है । औपचारिक शिक्षा
ही यहा पर शिक्षा है । शिक्षा का विकास क्यू करना चाहिए यह भी एक बडा प्रश्न है तो
फिर उसे क्या करना चाहिए या नही करना चाहिए यह तो बहूत दूर कि बात है । पहले तो यह
तय करना होगा कि शिक्षा क्यो होनी चाहिए ? फिर सारे प्रश्न के उत्तर
मिलते रहेंगे । मनुष्यने जो आज तक
कुछ हासिल किया है उसका श्रेय मनुष्य शिक्षा को देता है । वह कहता रहता है शिक्षा के परिणाम इतनी सारी
खोजे हो सकी । जो कि यह बाते बिना सत्यापन
के वह कह रहा है । शिक्षा हजारो सालो से मनुष्यने आविष्कार कर लिया है लेकिन
आधुनिक खोजे थोडे सालो पूर्व कि है । तो प्रश्न यह उठता है कि हजारो सालो तक
शिक्षा से मनुष्य का उतना विकास क्यो न हो सका । यदि आज वह इतनी असरकारक है तो
पहले थोडी तो असरकारक होनी चाहिए । लेकिन एसा हमे देखने को मिलता नही है । जो कि
हमें हमारा पूरा इतिहास ठिक से पता नही है तो कुछ भी कहना ठीक नही होगा ।
मनुष्य ऐसा मानता है कि शिक्षा से जिवनघडतर होता है । तो वह शिक्षा से आस
लगाये बैठता है । जो कि शिक्षा के पास कइ सारी बातो को लेकर मनुष्य आस लगाये बैठा
है । शिक्षा पर काफी जिम्मेवारी है । लेकिन जिवनघडतर कि भी जिम्मेवारी यह बात थोडी
सी अजीब लगती है ।
आप को लगेगा कि जिवनघडतर के संदर्भ में शिक्षा से आस नही रखेंगे तो किससे
रखेंगे । आपको एसा सवाल हुआ होगा । तो आप शायद जिवनघडतर को बहोत ज्यादा महत्व दे
रहे है । आप इसे इतना ज्यादा महत्व दे रहे है कि आपको जिवनघडतर बहोत ही महत्व
पूर्ण दिखाइ दे रहा है। यदि जिवनघडतर महत्वपूर्ण है तो क्यो न हम आदिमानव बन जाये
। जिसमे हमें भाषा आति नही थी। सोने का मोह था नही । खाना खाते और घूमते रहते । न
किसीसे झगडा न किसीसे कानाफूसी। अरे विश्वयुद्ध तो कभी नही होगा । पर्यावरण का
प्रदूषण कभी नही होगा । गरीबी नही रहेगी । आर्थिक मंदी कभी नही होगी । धर्मो के
झगडे कभी नही होंगे । इससे अच्छा जिवनघडतर किसे कहेंगे । लेकिन आप आदिमान नही बनना
चाहेगे । तो उसका मतलब यह भी होता है कि आप इस जिंदगी को छोडकर जिवनघडतर नही चाहते
। पहले आपको आज का जिवन भी चाहिए और जिवनघडतर भी चाहिए । फिर भी जिवनघडतर को महत्व
देते है । और महत्व देते है इसलिए आप शिक्षा से आस रखे बैठे हो । यदि हम जिवनघडतर
को महत्वपूर्ण न माने तो उसे शिक्षा से दूर रखेगे । लेकिन जिवनघडतर को महत्वहीन
कैसे मान सकते है । यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है । इन्सानो के पास उन्नत दिमाग है लेकिन बाकि सभी
प्राणियो के पास उन्नत दिमाग नही है फिरभी वह इन्सानो की तरह ही जिवन जीते है और
वह भी बिना टेन्शन के । आज कि स्थिति एसी हो गइ है कि टेन्शन ही जिन्दगी बन गइ है
।और इसे हम जिवनघडतर कहते है अरे तुमसे अच्छा तो अन्य प्राणी अच्छा जिते है ।
हमारे पास दिमाग है तो हम सोचते है कि जिवनघडतर के लिए अलग से सोचना चाहिए इसीलिए
तो हमारा दिमाग उन्नत है तो ऐसा सोचना क्या सही होगा ? नही न हम कम दिमाग से
अच्छा जीवन व्यतित कर सकते है । उत्क्रांति में मानवी दिमाग का विकास मानवी
जिवनघडतर के लिए नही हुआ है । जिवनघडतर कि जरूरत होती तो मानवीय दिमाग इतना विकसित
नही होता । इससे इतना कह सकते है कि जिवनघडतर कम दिमाग वाले का भी हो सकता है । उसके
लिए उन्नतता कि आवश्यकता नही है । जो बात आसान है जो बात सहज है जो बात हमारे
कन्ट्रोल में नही है इसे हम क्यो
अपनानेमें तुले है । ऐसी गौण बाते शिक्षा पर क्यू लादी जाये शिक्षा को हमें
मह्तवपूर्ण कार्य देने चाहिए । समाज कि काफी समस्या है उन समस्या के निराकरण का
काम शिक्षा देना चाहिए एसी क्षुल्लक जो एक सामान्य प्राणी भी कर सके एसी बातो में
शिक्षा को उलजना नही चाहिए ।
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