असरकारक शिक्षा क्या है
शिक्षा को हम समज नही पाए और शिक्षा अपने साथ एक विशेषण लेकर आ गइ । शिक्षाने
एक विशेषण लिया है वह है असरकारक शिक्षा । शिक्षा ने यह विशेषण अपनी कुछ बाते
समझाने के लिए लिया है । किसी चिज को नजदिक से समझने के लिए विशेषण मदद कर देता है
। जैसे कि काफी सारी गाय है यदि हम विशेषण लगा ले कि लाल गाय तो वह विशिष्ठ अर्थ
प्रस्तुत कर देती है और उसके नजदिक जाया जा सकता है । शिक्षा केवल यही विशेषण नही लिया है काफी सारे विशेषण
लेकर घूमती रहती है । जैसे बुनियादी शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा आदि शिक्षा अपने
स्पष्ट अर्थ को प्रस्तुत करने के लिए विशेषण ले लेती है। जैसे ही विशेषण लेती है
शिक्षा का एक अलग विभाग बन जाती है । यहा पर असरकारक शिक्षा को समझना अति आवश्यक
है । असरकारक शिक्षा यानि क्या ? इस बात को समझने के लिए हमे शिक्षा को नये संदर्भ में देखना
होगा । असरकारक शिक्षा को समझने के लिए पहले तो शिक्षा को समझना होगा । क्या है
शिक्षा ? आज तक शिक्षा एक उद्देश्य को लेकर
चलती आ रही है जैसे कि आत्मा का विकास करना, सैनिक तैयार करना आदि उस उद्देश्य को
शिक्षा माना जाता है । शिक्षा के संदर्भ के विचारो का विश्लेषण करते है तो पता
चलता है कि शिक्षा को किसी उद्देश्य को प्रप्त करना चाहिए इसी बात को लेकर विचार
मिलते या तो शिक्षा को एक प्रक्रिया के रूप में देखा गया है । यहा पर हम शिक्षा के
दूसरे रूप के संदर्भ में शिक्षा के अर्थ को लेकर चलेंगे । उद्देश्य बदलते रहते है
लेकिन प्रक्रिया को हम अपने हिसाब से काबू कर सकते है । उद्देस्य स्वार्थ पूर्ण हो
सकता है लेकिन प्रक्रिया में स्वार्थ आना बेमतलबी बात है । शिक्षा के संदर्भ में
कहे तो यह दो बाते एक सिक्के की दो बाजु है । दोनो से ही शिक्षा पूर्ण बनती है ..
हमें दोनो को अलग नही मानना चाहिए । यदि इन दोनो कि मिलावटी परिभाषा दी जाए तो एसे
दे सकते है कि किसी उद्देश्य को प्राप्त करने कि योग्य प्रक्रिया यानि शिक्षा ।
शिक्षा के उद्देश्य बदलते रहते है जैसे कभी वह आत्मा का विकास हो जाती है,
कभी विज्ञान का विकास हो जाती है,जैसा
विस्तार, जैसा समय उस हिसाब से उद्देश्य में परिवर्तन होता रहता है । प्रक्रिया
में भी बदलाव होता रहता है कभी वह अनौपचारिक कहलाता है तो कभी औपचारिक । प्रक्रिया
के रूप में शिक्षा को देखे तो शिक्षा जिवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है । असरकारक
शिक्षा के संदर्भ में शिक्षा को एक प्रक्रिया माना जाता है । यदि हमें असरकारक
शिक्षा को समझना है तो शिक्षा कि प्रक्रिया को समझना अति आवश्यक है । कम्प्यूटर कि
प्रक्रिया के द्वारा हम शिक्षा कि प्रक्रिया को समझने कि कोशिश करेंगे ।
कम्प्यूटर में तीन चरणो कि प्रक्रिया होती
है 1 इनपुट 2 संग्रहण 3 आउटपुट शिक्षा को भी हमे इन्ही तीन चरणो मे लेना है

इस प्रक्रिया कि
विस्तृत समझ हम दूसरे अध्याय में देखेंगे । ज्ञान का इनपुट होता है ज्ञान का
संग्रहण होता है, विश्ल्षण होता है अन्त में ज्ञान का आउटपुट होता है । शिक्षा इसी
प्रक्रिया मे कार्य करती है । इस संदर्भ में यदि असरकारक शिक्षा कि परिभाषा दे तो
इस प्रकार होगी ।
असरकारक ज्ञान का असराकराक रूप से इनपुट होना, असरकारक रूप से संग्रहण एवं
विश्लेषण होना तथा उस ज्ञान का असरकारक रूप से आउटपुट होना हूि असरकारक शिक्षा है ।
यदि ज्ञान असरकारक नही है, ज्ञान असरकारक रूप से इनपुट नही हुआ है और यदि
ज्ञान असरकार रूपसे संग्रहित नही हुआ है और यदि ज्ञान का असरकारक रूप से आउटपुट
नही होता है तो वह शिक्षा किसी काम की रहती नही है वह असरकारक बन ही नही सकती है ।
आज के संदर्भ मे देखे तो इनपुट एवं संग्रह पर ज्यादा जोर दिया जाता है उसकी
असरकारकता के आसपास ही शिक्षा घुमती रहती है लेकिन असरकारक आउटपुट को नजरअंदाज किया
जा रहा है ।आउटपुट केवल तीन घंटो का होता है जिससे आउटपुट असरकारक बन नही पाता है
और शिक्षा असरकारक नही बन पाती है । असरकारक शिक्षा के लिए शिक्षा प्रक्रिया के
तीनो सोपानो पर हमे ध्यान रखना अति आवश्यक है ।
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