Wednesday, 20 June 2018

नये ज्ञान की खोज


नये ज्ञान कि खोज
इन्सानो कि खोजे देखते है तो आश्चर्य़ जरूर होता है । प्रश्न यह उठता है कि दस हजार सालो तक इन्सान का टेलेन्ट शांत क्यो रहा होगा । यह प्रश्न इसलिए उठता है कि इन्सान कुछ सो सालो में इतनी प्रगति कि है कि एसा कह सकते है कि जगत कि पचास प्रतिशत इस सो साल में और पचास प्रतिशतत दस हजार साल में खोज हुइ है । आखिर इन्सानने नया ज्ञान कैसे खोजा होगा । गुरूत्वाकर्षण का  सिदधांत दसहजार सालो तक क्यो ध्यान में नही आया होगा । बात यहा पर ज्ञान की नही मगर नये ज्ञान कि करनी है । मनुष्य का स्वभावन संशोधन करने का रहा है । यदि कोइ पूछे कि यह खोज कैसे संभव बनी तो सीधा जवाब है संशोधन, शोधप्र्कृति । हर एक ज्ञान के पिछे शोध प्र्कृति जरूर नजर आती है लेकिन क्या इन्सान नया कुछ बना सकता है  । क्या इन्सान में वह शक्ति है कि वह नया ज्ञान कि जो जगत में है ही नही वह बना सके । बात को समझने के लिए उदाहरण देखिए
किसी व्यक्ति को केवल जोडा करने का ज्ञान है तो क्या उस ज्ञान के सहारे वह गुना सिख सकता है । शोध करते समय व्यक्ति को योग्य प्रश्न क्यो होते है । वह नये प्रश्न उसने कैसे बना दिए । यदि इन्सान एक ज्ञान एवं शोध प्रकृति के सहारे नया ज्ञान उत्पन्न कर सकता है तो दुनिया का हर व्यक्ति एसा क्यो नही कर सकता ।  दुनिया का हर एक व्यक्ति वैज्ञानिक क्यो नही बन सकता । क्या व्यक्ति अपने अनुभव या ज्ञान का विश्लेण कर नया ज्ञान बना सकता है । क्या आपने कोइ नयी खोज की है तो आपनसे नयी खोज क्यो नही हो पाई ।
मान लिजिए कि एक व्यक्ति को एक कमरे में बंद कर दिया जाये । उसे दुनिया से कट कर दिया जाये । माने कि उसे केवल ध्यान करने को कहा जाये । उसे न पुस्तके दी जाये । उसे न मोबाइल न कम्प्यूटर इत्यादि कुछ भी नही केवल सोचने कि शक्ति दी जाये । एक बंद कमरे में बैठा अकेला दुनिया से तूटा हुआ व्यक्ति क्या महिने के बाद इतना ही जानता है जितना वह महिने पहले जानता था । कि उसे नया ज्ञान प्राप्त हुआ होगा । यदि नही तो जंगल में तपस्वीयो को एक गुफा के अंदर ज्ञान कैसे प्राप्त हो जाता है । यदि हा तो वह नया ज्ञान आया कहा से । क्या केवल सोचने भर से नये ज्ञान की उत्पति होती है ।
एक वैज्ञानिक ने क्या उसने उस विषय का चिंतन किया इसलिए उसे नया ज्ञान मिला । यदि इतनी बातो से भी समझ में नही आया है तो में आपको एक उदाहरण और देता है । मानलिजिए कि आप के पास एक चाय कि पत्तीया है तो क् आप उसमें से दूध बना सकते है नही न तो आपके पास जिस विषय का ज्ञान ही नही है उस विषय का नया ज्ञान कैसे संभव हो सकता है । संभव नही है । यदि मैने विज्ञान का ज्ञान लिया ही नही है तो उस विषय का नया ज्ञान उत्पन्न कदापि नही कर सकता । एक ज्ञान से असंख्य ज्ञान कैसे संभव हो पाये होंगे । एक ज्ञान को कितना तोडा जा सकता है । उसे कितने संदर्भो में रख सकते है । कइ प्रश्न कर रहा हू क्योकि मैने कभी कोइ नयी खोज नही कि है । तो प्रस्न होते रहते है । प्रश्न इसलिए होते है कि मेरे द्वरा क्यो कोइ खोज नही होती है । क्या किसी चिज को देखे बिना उसके विषय में चिंतन हो सकता है ।
शिक्षा के क्षेत्र में काफी खर्च किया जा रहा है लेकिन आइन्सटाइन जैसा पैदा नही हो पा रहा है । लाखो विद्यार्थीयो में कुछ एक होते है अब्दुल कलाम जैसे जो नयी खोज कर सकते है । एसा क्यू सभी को ज्ञान समान दिया गया है । अब्दुलकलाम कि जैसी बुद्धिमता युक्त छात्र भी होते है उसे वही ज्ञान दिया गया है लेकिन वह अब्दुलकलाम जैसी खोज नही कर पा रहे है । एसा क्यो यानि एक बात तो कह सकते है कि नये ज्ञान कि खोज सभी नही कर सकते है । सभी के पास एक जैसी क्षमता होने के बावजूद, सभी को एक जैसा ज्ञान देने के बावजूद सभी नयी खोज नही कर सकते । अब उस उदाहरण पर आते है जो व्यक्ति महिनो से कमरे में बंद है उसे केवल सोचने कि इजाजत है नया ज्ञान न मिलने के बावजूद भी वह काफी ज्ञान सर्जन करेंगा ।  वह दुनिया से कटा हुआ है फिर भी उसने ज्ञान सर्जन किया इसका मतलब कि ज्ञानउसके अंदर से आया या किसी अज्ञात शक्तिने उसे ज्ञान दिया । कोइ कहता है कि आकाशिक रिकॉर्ड होते है जैसे आज क्लाउड होते है वैसे ब्रह्मांड का क्लाउड होता है । उससे हमारा दिमाग ज्ञान लेता है । वह ज्ञान तभी ले सकता है जब वह उस ज्ञान के भंडार तक पहूंच सके । क्या सभी वह वैज्ञानिक जिन्होने नये ज्ञान की खोज कि वह क्या एसे आकाशिक ज्ञान तक पहूँच गये थे । तो क्या ब्रह्मांड में ज्ञान पहले से मौजूद है । हमे केवल उस तक पहूंचना है । यदि यह बात है तो हमे हमारे समय को इस दिशा में नही लगाना चाहिए । क्या हमें अपने दिमाग को प्रवाहित नही करना चाहिए । प्रश्न काफी है । नये ज्ञान के संदर्भ में कुछ तो खोजबीन करनी ही चाहिए । हमे हाथ धरे बैठना नही चाहिए क्योकि हमारे समय काफी कम है और ज्ञान कापूरा समंदर है । संशोधको को इस विषय में शोध करनी चाहिए और दुनिया को एक उत्तर देना चाहिए। आपकी राय कमेंन्ट कर बता सकते है .

No comments:

Post a Comment